
रामगढ़ प्रखंड के भतूडिया ए पंचायत अंतर्गत चिनडगाल गांव में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था इन दिनों गहरी बदहाली का शिकार है। विद्यालय में लगभग 180 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, किंतु शिक्षकों की लापरवाही एवं समय-सारणी की अनदेखी ने इसे मात्र औपचारिकता तक सीमित कर दिया है। विद्यालय का निर्धारित समय प्रातः 9:00 बजे से अपराह्न 3:00 बजे तक है, परंतु जानकारी के अनुसार, 1:30 बजे ही विद्यालय का संचालन बंद कर दिया जाता है। सोमवार को विद्यालय में लगभग 80 बच्चे उपस्थित थे, लेकिन विद्यालय तय समय से डेढ़ घंटे पहले ही बंद कर दिया गया।
प्रधानाध्यापिका अर्चना कुमारी ने समय से पूर्व विद्यालय बंद करने का कारण रामगढ़ में चल रहे प्रशिक्षण को बताया। हालांकि, यह तर्क विद्यालय के नियमित समय से पूर्व बंद किए जाने की गंभीर अनियमितता को न्यायोचित नहीं ठहराता।
स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है, जब प्रधानाध्यापिका ने सहायक शिक्षक कुमार बृजभूषण के उपर गंभीर आरोप लगाए। उनके अनुसार, सहायक शिक्षक विद्यालय में कभी-कभार ही उपस्थित होते हैं और अधिकांशतः बायोमेट्रिक में उपस्थिति दर्ज कर शीघ्र ही विद्यालय से अपने घर चले जाते हैं। कई बार तो वह बिना किसी सूचना के सप्ताह में चार दिनों तक भी विद्यालय नहीं आते। परिणामस्वरूप, पूरे विद्यालय का शैक्षणिक भार अकेली प्रधानाध्यापिका पर पड़ता है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
एक ओर प्रशिक्षण के नाम पर विद्यालय समय से पहले बंद किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सहायक शिक्षक की लापरवाही ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। इन दोनों शिक्षकों के गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने विद्यालय की व्यवस्था को पूरी तरह से चरमरा दिया है।
इस स्थिति में शिक्षा विभाग की चुप्पी और निरीक्षण तंत्र की निष्क्रियता गंभीर चिंता का विषय है। अब यहाँ सवाल यह उठता है कि क्या संबंधित पदाधिकारी इस ओर ध्यान देंगे या फिर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों का भविष्य यूं ही लापरवाही की बलि चढ़ता रहेगा। शिक्षा विभाग इस मामले की शीघ्र जांच कर दोषी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि चिनडगाल के विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके और उनका भविष्य सुरक्षित रह सके। समय से पहले विद्यालय बंद होने की सूचना जब रामगढ प्रखंड बी ई ओ करुणा रानी को ढ़ी ग
गईं तो उनके द्वारा यह बोला गया कि ठीक है पता करके देखते हैं। अब यह देखना लाज़मी होगा कि खबर प्रकाशन के बाद शिक्षा विभाग ऐसे बिना सूचना के गायब होने वाले शिक्षकों पर कोई कार्यवाही करती है या नहीं।